अलसी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
अलसी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 6 मई 2018

गुप्त रोगो क़ी चमत्कारी दवा

सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे।

अलसी आपकी देह को ऊर्जावान, बलवान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा।

अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन एवं लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे शक्तिशाली स्तंभन तो होता ही है साथ ही उत्कृष्ट और गतिशील शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करते हैं जिससे सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है।

रविवार, 17 जुलाई 2011

रोगों के अनुसार अलसी का सेवन करें

सुपर फुड अलसी में ओमेगा थ्री व सबसे अधिक फाइबर होता है। यह डब्लयू एच ओ ने इसे सुपर फुड माना है। यह रोगों के उपचार में लाभप्रद है। लेकिन इसका सेवन अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग तरह से किया जाता है।

स्वस्थ व्यक्ति को रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद मंे मिलाकर लेना चाहिए । अलसी के पाउडर को ज्यूस, दूध या दही में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम प्रतिदिन तक ली जा सकती है। 100-500 ग्राम अलसी को मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें। अलसी को अधिक मात्रा मंे पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है। सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है।

खाँसी होने पर अलसी की चाय पीएं। पानी को उबालकर उसमें अलसी पाउडर मिलाकर चाय तैयार करें। एक चम्मच अलसी पावडर को दो कप (360 मिलीलीटर) पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक यह पानी एक कप न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद, गुड़ या शकर मिलाकर पीएँ। सर्दी, खाँसी, जुकाम, दमा आदि में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। दमा रोगी एक चम्मच अलसी के पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और उसको सुबह-शाम छानकर सेवन करे तो काफी लाभ होता है। गिलास काँच या चाँदी का होना चाहिए।
समान मात्रा में अलसी पाउडर, शहद, खोपराचूरा, मिल्क पाउडर व सूखे मेवे मिलाकर नील मधु तैयार करें। कमजोरी में व बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नील मधु उपयोगी है।

डायबीटिज के मरीज को आटा गुन्धते वक्त प्रति व्यक्ति 25 ग्राम अलसी काँफी ग्राईन्डर में ताजा पीसकर आटे में मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। अलसी मिलाकर रोटियाँ बनाकर खाई जा सकती हैं। अलसी एक जीरो-कार फूड है अर्थात् इसमें कार्बोहाइट्रेट अधिक होता है।शक्कर की मात्रा न्यूनतम है।
कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकला तीन चम्मच तेल, छः चम्मच पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर देने चाहिए।

कैंसर की स्थिति में डाँक्टर बुजविड के आहार-विहार की पालना श्रद्धा भाव से व पूर्णता से करनी चाहिए। कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकले तेल की मालिश भी करनी चाहिए।
साफ बीनी हुई और पोंछी हुई अलसी को धीमी आंच पर तिल की तरह भून लें। मुखवासी इसका सेवन करें। इसमें सेँधा नमक भी मिलाया जा सकता है। ज्यादा पुरानी भुनी हुई अलसी प्रयोग में न लें।
बेसन में 25 प्रतिशत मिलाकर अलसी मिलाकर व्यंजन बनाएं। बाटी बनाते वक्त भी उसमें भी अलसी पाउडर मिलाया जा सकता है। सब्जी की ग्रेवी में भी अलसी पाउडर का प्रयोग करें।
अलसी सेवन के दौरान खूब पानी पीना चाहिए। इसमें अधिक फाइबर होता है, जो खूब पानी माँगता है।

अंकुरित अलसी

अंकुरित अलसी बनाने की विधिः–

रात को सोते समय अलसी को भिगो कर रख दीजिये। सुबह अलसी को साफ पानी में धोकर पांच मिनट के लिए किसी चलनी में रख दें ताकि उसका पानी नितर जाये। अब साफ धुले हुए मोटे सूती कपड़े जैसे पुराने बनियान में लपेट कर एक प्लेट में रख कर दूसरी प्लेट से ढक कर रख दें। दूसरे दिन सुबह आपके स्वादिष्ट अंकुरित तैयार हैं।

अलसी के कुछ सौंदर्य प्रसाधन आप द्वारा घर पर भी बनाये जा सकते हैं।

अलसी का उबटनः-

चौथाई कप ताजा पिसी अलसी, चौथाई कप बेसन और चौथाई कप गैंहूं के आटे को आधा कप (100 एम.एल.) दही, एक बड़ी चम्मच शहद, एक बड़ी चम्मच अलसी या खोपरे के तेल व किसी भी सुगंधित तेल की 5 बूंद (जैसे लेवेंडर तेल आदि) में अच्छी तरह मिला कर उबटन बनाएं, होले होले चेहरे व बदन पर मलें और घर बैठे ही हर्बल स्पा जैसा लाभ पायें। इससे त्वचा नम व रेशमी बनी रहेगी।

बालों का सेटिंग जेलः-

पहले तीन कप पानी को तेज आंच पर रखें। उबाल आने पर तीन चौथाई कप अलसी डाल कर 8 – 10 मिनट तक सिमर करें। ठंडा होने पर एक चम्मच नारियल या बादाम का तेल व 5 बूंद लेवेन्डर का तेल मिलाएं और फ्रीज में रखें। इसे एक सप्ताह तक बालों को सेट करने हेतु काम में ले सकते हैं।

केश तेलः-

मीठी नीम और मेंहदी के पत्तों को धो कर और पोंछ कर मिक्सर में बारीक पीस लें। एक कप नारियल के तेल को गर्म करें और उसमें एक चम्मच मीठी नीम और मेंहदी के पत्तों के इस पेस्ट को भूरा होने तक धीरे-धीरे भूने। फिर उसमें एक कप अलसी का तेल डाल कर थोड़ा सा लेवेन्डर तेल मिलाएं। आपका केश तेल तैयार है।

स्मरण शक्ति बढ़ाने मेँ प्रयोग

अलसी का तेल आपकी
एकाग्रता, स्मरण शक्ति तथा
सोचने-समझने की शक्ति
को बढ़ाता है। नियमित रूप
से अलसी के तेल के सेवन
से आपको मस्तिष्क सम्बंधी
कोई विकार नहीँ रहेगा ।

-: MY OTHER BLOGS :-

> SANSAR (Ghazals)

> प्रेरक-विचार

> बचत और निवेश

अलसी में सेक्स समस्या का समाधान

फ्लैक्सीड या अलसी की मदद से सेक्स से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। महिलाओं व पुरूषों में सेक्सुअली सक्षम न हो पाने का एक प्रमुख कारण है पेल्विस की रक्त वाहिनियों में रक्त का सही तरीके से प्रवाह न होना। फ्लैक्सीड के लगातार प्रयोग से रक्त वाहिनियां खुल जाती हैं। नब्बे के दशक में फ्लैक्सीड को एक अच्छा एफरोडाइसियेक्स माना जाता था एफरोडाइसियेक्स उत्तेजित करने वाले प्राकृतिक पदार्थ होते हैं।
पिछले कुछ दशकों से किसी भी बीमारी के प्राकृतिक तरीके से उपचार पर ज़्यादा जोर दिया जा रहा है, जिसके लिए जड़ी बूटियों व पौधों की मदद से उपचार के तरीकों को अपनाया जा रहा है। फ्लैक्सीड के प्रयोग से भी बहुत सी बीमारियों का उपचार खोजा जा रहा है। सेक्स से जुड़ी समस्याओं मे फ्लैक्सीड का उपयोग बहुत समय से किया जा रहा है।


अलसी लाभदायी क्यों है

अलसी बहुत से कारणों से लाभदायी है, इन सभी कारणों में से एक कारण है अलसी में अल्फा लिनोलेनिक एसिड का पाया जाना जो कि ओमेगा 3 फैटी एसिड ग्रुप का एक भाग है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड बहुत ही महत्वपूर्ण है। अलसी में लिग्नाज़ भी होते हैं जिनमें कि एण्टीआक्सिडेंट होने की वजह से ये कुछ प्रकार के कैंसर से भी सुरक्षा करते हैं जैसे प्रोसट्रेट कैंसर।

65 वर्ष से अधिक उम्र में पुरूषों में यह सबसे ज़्यादा पाया जाने वाला कैंसर है, हालांकि अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज शुरू हो गया तो इससे बच पाना सम्भव होता है। इस बीमारी से सेक्स में समस्याएं आ सकती हैं। प्रोसट्रेट कैंसर का पता लगाने के बहुत से तरीके है लेकिन सबसे अच्छा और सबसे मुश्किल तरीका है डिजिटल रेक्टल परीक्षण। दूसरा तरीका है प्रोसट्रेट स्पेसिफिक एन्टीजन टेस्ट। इस टेस्ट में व्यक्ति के खून में एक खास एन्टीजन के पाये जाने से प्रोसट्रेट कैंसर के होने की पुष्टि होती है। लेकिन यह टेस्ट थोड़ा प्रतिद्वंदी होने के कारण बहुत ज़्यादा नहीं सराहा गया है क्योंकि कई बार यह कैंसर की पुष्टि ठीक तरीके से नहीं कर पाता।

प्रोसट्रेट कैंसर की चिकित्सा से सेक्स पर प्रभाव पड़ने के साथ साथ ब्लैडर का नियंत्रण भी खो जाता है ा फ्लैक्सीड की मदद से सेक्स से जुड़ी समस्याओं के साथ साथ कैंसर की रोकथाम भी हो सकती है। अभी भी इस बात की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पायी है कि फ्लैक्सीड की मदद से कैंसर कैसे ठीक हो सकता है लेकिन सालों से लोग इसका इस्तेमाल करते आ रहे है और इससे लाभ पाकर लोग इसे अपने खाने में शामिल करते हैं।


अलसी का सेवन करने वालों को एक बार डाक्टर से ज़्रूरूर सम्पर्क करना चाहिए। यह प्राकृतिक है लेकिन इसके साइड एफेक्ट हो सकते है और फ्लैक्सीड को पावडर या गोली के रूप में लेने वालो के लिए तो डाक्टर से सम्पर्क करना अनिवार्य है।


आपके लिए अन्य लेख:-

रोगों के अनुसार अलसी का सेवन करें।

तिमाही गर्भ निरोधक इंजैक्शन।

शादी के बाद बनती है अच्छी सेहत।

क्या आप जानते हैं कि बेटी पैदा करने की ख्वाहिश कैसे पूरी हो सकती है।

पुरुष शराब की ओर अधिक आकर्षित क्यों होते हैं?

बढ़ती उम्र में घटती आँखों की रोशनी को कैसे बढ़ाऐं।

कुछ सामान्य लक्षणों से जानें कैंसर का संकेत।

Earn Upto Rs. 9,000 pm. Checking Emails. Join now!


-: MY OTHER BLOGS :-

> SANSAR (Ghazals)

> प्रेरक-विचार

जाने अपने भाग्य, कैरियर और स्वास्थ्य को हाथ की रेखाओँ से

 
Powered by Blogger